बजार से लौटके रोझन अपन गेठरी से जूतन के खोलके भीती में गाड़ल काँटी में टाँगे लगलन । ओकर बेटी रमुनी पूछलक - "बाबू जी, आज जूतवा नऽ बिकलवऽ ? सब बचले रह गेलवऽ हे ।" रोझन बोललन - "भगवान जे करऽ हथ से ठीके करऽ हथ बेटी, ओकर राज में देर हे बाकि अन्हेर नऽ हे, एक रोज हमरो दिन घूरत", कहके रोझन जूतन के काँटी पऽ टाँगलन ।
******** Incomplete ********
Monday, September 25, 2006
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment