मिसिर जी खदेरन के टूटल नियन मन मारले देखथ तऽ उनका अपन भमिस लोके लगे । खदेरन के साथे ऊ भी सोच में पर गेलन । से एगो रात के अन्हरिया में ठकुरबारी के पाछे आज फिनो सालन बनौलन आउ खदेरन के साथे खायला बोलौलन । मिसिर जी आउ खदेरन मांस-भात गपकइत हलन आउ अगाड़ी के योजना बनावइत हलन । खदेरन पूछलक - "अब का होय के चाहीं मिसिर जी ? अब तऽ सब कुछ भे गेल ।"
******** Incomplete ********
Monday, September 25, 2006
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