Monday, September 25, 2006

16. तइयो नरक बचल रहल

नानी के कहानी कहे में अब कम मन लगऽ हे जादे समय ऊ भगवान भजन में लगावऽ हे । रोझन भी मिसिर के ठकुरबारी से जादे नानी ही आवल करऽ हे । इहाँ अवते ओकरा लगऽ हे कि अपन माय भिरु पहुँच गेल हे । दूनो माय-बेटा मिलके "सिरी राम जय राम जय-जय राम" गावे लगऽ हथ तऽ लगऽ हे कि कइसनो कठोर हिरदा पिघल जायत । रात में जब सुनताहर अउरत आवथ तऽ नानी जादे तर धरम के कहानी कहे । से मेहरारू के ओकरा में मने नऽ लगे । ओहनी के तऽ चटपटी गाँव के सिकाइत ओली कहानी सुने के मन करे । से अब नानी ही से जादे जीरवा के दोकान पऽ कहानी सुने मेहरारू जाय लगलन । जीरवा गते-गते नानीये नियन बने के कोरसिस करइत हल । ऊ खूब चटपट कहानी सुनावे । खदेरन बहु हुँकारी भर-भरके ओकर उत्साह बढ़ावल करे । एक दिन खदेरन बहु के खदेरन बेमार भे गेल । रमधार मिसिर के पोथी-पतरा फेका गेलो । खेती-बारी हइये न हलइन । ऊ का बेचारे गाँव-गाँव माँगऽ हथ तऽ कइसहूँ खाय-पीये ला हो हइन ।

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