Monday, September 25, 2006

18. गाँव में नरक (कि नरक में गाँव)

जमुना के बाप दू-चार बीघा खेत जोते कोड़े ओला गिरहथ आउ मजूरा हलन । बेटी जमुनी लइकाइये में राँड़ हो गेलइन हले आउ बेटा जमुना के मेहरारुये छोड़के दोसर बिआह कर लेकइन हल । जमुना के एगो बेटा भी भेलई हल से ओकरा अपने साथे मेरारुये लेले चल गेलई हल । अब जमुना के बाप चाहइत हल कि बेटा के दोसर सादी कर देईं । अभी तऽ ऊ पचीस बरस के हे । आजे से बिन बिअहले रहत ? बाकि जमुना बिआह करेला तइयार नऽ हल । ऊ बाबू जी से कहऽ हल कि पहले जमुनी के बिआह दऽ तब फिनो हमरा ला बातचीत चलइ हँऽ बाकि बिआह करेला जमुनीओ तइयार नऽ हल । से जमुना के बाप एक रोज मिसिराइन से राय लेलन - "हमर बेटा-बेटी दूनो बेकहल निकल गेलथुन । तनी ओहनी के समझा नऽ देबहुन ?" मिसिराइन बोललन - "तोरे का, सब के बेटा-बेटी के आजकल ये ही हाल हे । हमरो बेटी का हमर कहल में हथ ?"
"तोर बात दूसर हो । तू ओहनी के बिआहो नऽ करबहुन तइयो तोरा कोई नऽ दुसतो बाकि हमरा तो लोग रहतो नऽ चले देतो ।"
"बात अइसन नऽ हो । राह तऽ हमरो नऽ चले देवे बाकि हम कनघटिअवले सब सुनइत बढ़ल जा हियो बाकि तोहनी के सुनके नऽ रहैतो । लड़ेला तइयार हो जयबऽ ।"
"आखिर केतना सुनी आउ सही तिलेसरी के माय ? जमुनी के मारे नाक नऽ देल जाइत हे । मर भी तऽ नऽ जाइत हे । केकरो लेके चलियो जाइत तऽ बेस हल ।"
"अइसे काहे कहत हऽ जमुना के बाप ? हमरो बेटी से जादे बदमाश होतो बाकि हम सब सहइत ही । ई अइसने उमिर हे जे घड़ी अपना पऽ काबू नऽ रहे ।"
मिसिराइन के बात सुन के जमुनी के बाप तनी सांत भेलन आउ कहलन कि ढेर नीत बघरलऽ अब हो गेलो ।
एने हकासल-पिआसल जमुना दूरा पऽ आयल तऽ केवाड़ी खोलावेला चिचिआयल । केवाड़ी खुलते बोलल - "तोरा ही हल्ला हो रहलो हे आउ तू इहाँ बइठल हहू ।" मिसिराइन पूछलन - "का बात हे जमुना ? रोहन भी का हल हुआँ ?"
"अरे चाची, एगो रोहन के नऽ रहे से का हो ? सउँसे गाँव तऽ उमड़ल हल ।"
"का-का सुनलें बेटा ? तनी जल्दी कह, तिलेसरी-नगीना उहाँ हल कि नऽ हल ?"
"सब हलन । कोई नऽ कहऊँ गेल हल बाकि बड़ी गुदाल होइत हल । से हम सोचलियो कि चाची तऽ हमरे ही होयतन । चलके खबर दे दिअइन ।" से आगे-आगे मिसिराइन आउ पाछे-पाछे जमुना के बाप लपकल ठकुरबारी दने चललन । उहाँ ओहनी पहुँचलन तब भीड़ छट गेल हल । जमुना के बाप उलटे गोड़ लौट गेलन । अगना में आनके मिसिराइन नगीना से पूछलन कि का बात होलो ? नगीना बोलल - "बात कुछो नऽ हो । रोजे नियन तास होइत हलो । बाजी पऽ बाजी आज जमुना जीत रहलो हल । हम हार रहली हल से एकरे में गिटपिट सुनके ऊ भीति के दरार से झाकलो हल आउ देख के गाँव में हल्ला कर देको । लोग जुट गेलन बाकि तुरते लजा के भाग गेलन । से ओही घड़ी माय-बेटी मिल के खड़ी में पतरा माटी सानलन आउ देवार के दरार में ठूस-ठूस के भर देलन । फिनो नगीना बोलल - "अब ठीक हो गेलो माय । तू निस्चिंत रह ।" मिसिराइन बोललन - "भीतरे केतनो भूर होय, ऊपरे से नऽ लोके के चाही । ऊपर ही के चिकनाई सब कोई देखऽ हे । ऊपरे चिकन तऽ सगरो चिकन । ऊपरे से बराबर तह-तोप कैले रहे के चाही ।"
मिसिराइन के बेटी मिसिराइनो से चलाँक हल । तनियक इसारा से ओहनी ढेर समझ जा हलन । बेटी के समझा बुझा के मिसिराइन फिनो गाँव में निकल गेलन ।

No comments: