Monday, September 25, 2006

20. गाँव में सहर घुसे लगल

जमुनी के लेके रोहन कुछ दिन से कसबा में रहे लगल । बढ़िया से कमाइत-खाइत हल । तब एक रोज जमुना आनके कहलकई कि अब जे होवेला हल से होइये गेलो । तोहनी गाँव में चलके काहे न बढ़िया से रहइ जा । माय भी बूढ़ हथुन, अकेले रहे परऽ हइन । नोकरी के लोभ में रग्घू भी एक रोज आयल हल आउ एहनी के काम-धाम देखके बड़ा खुस भेल हल । से रोहन के मन बदल गेल आउ जमुनी के अपन माय के साथे रख देलक आउ घर ही से रोज कसबा में कमाय जाय लगल । ऐही बीच में ओकरा कलकत्ता से खबर आ गेलई । ऊ जमुनी के अपन माय भिजुन छोड़के आउ अपन काम पर रग्घू के रखके कलकत्ता चल गेल ।

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