Monday, September 25, 2006

22. आखिर चुनाव आ गेल

रोहन कलकत्ता से गाँव पऽ आयल हल । एक महीना के छुट्टी हलई से जमुनी के भी लेले आयल हल । एसो पंचायत के चुनाव होवे ला हल । नानी टोला पऽ रोज घुनपिस चल रहल हल । से रोहन के एक दिन नऽ रहायल आउ सब लोग के जमा करके कहलक - "गान्ही जी हमनी के हरिजन कहऽ हलन आउ कहऽ हलन कि एहनी के विसेख मौका देवे के चाहीं । एहनीयो देस के बसिंदा हथ । बाबा अम्बेदकर तो हमनी ला लड़ते-लड़ते परान दे देलन । तऽ का हमनी के अपना ला कुछो करतब नऽ हे ? कोई खिआवत तऽ हमनी खायम ?" बीचे में रग्घू गरजल - "हमरा भिरू नऽ रहत तऽ हम दोसर के ढेर मानी सड़इत अनाज छीनके खा लेम ।"

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