Monday, September 25, 2006

34. गाँव में महामारी

इनसाल गाँव में एतना जोर से लूक चलल कि पहर भर दिन उठला के बाद मजाल का कि कोई घर से बाहर निकले ? अभी बइसाख चढ़ते हे आउ ई हाल ? जेठ में का होयत, कहल न जा सके । अन्हारे के बेरा लोटा लटकौले सुरुज महतो नहर दने चलल जाइत हलन तो रस्ता में रोझन मिल गेलन । दुनो इयार नहर धैले तनी दूर ला फरागत करे निकल गेलन । ओने से रमधार मिसिर और बरमा जी भी अनमुनाहे में दिसा फिरे चलल आवइत हलन । किरिन फूटते आग उगिले लगऽ हल । से चारहुन नहर पर बइठ गेलन ।

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