Monday, September 25, 2006

36. गाँव में संडक आउ बिजुली

भिखना के रिंग-रिंग के खेल गाँव में न चलल तो ऊ सब समान उठाके कसबा में ले आयल आउ टिसन के बगले में जम के डेरा डाल देलक । बुधुआ अब ओकरा ही नोकरी न करे बलुक ऊ रिंग-रिंग में साझेदार हो गेल हे । टिकस काटे ओला अब एहनी के एगो बौना अदमी मिल गेल हे जे मजकिया के भी काम करऽ हे । ओकर मजाके में भुला के लोग टिकस कटा ले हथ । भीतरे घुसत ही एक पुड़िया चटपटीदार फंकी मिल जा हे तो रिंग-रिंग खेले ओला भीतरे घुसल अदमी के हौसला बढ़ जा हे । तम्बू के भीतरे रिंग-रिंग खेल के साथे कई तरह के जुगा हो हे जेकरा में देखवइया फँसीये जा हे । भिखना अब चलाक हो गेल । ई सब खेल के परमिट भी बी०डी०ओ० से ले लेलक । आउ कसबा के निमन-निमन अदमी ही भी फ्री टिकस पहुँचा दे हे । बढ़का घेरा में एक जगुन रगन-रगन के चिरई भी रखले हे आउ एकाध जगुन नाँच गाना भी होइत रहऽ हे । से भिखना आउ बुधुआ के साझेदारी में रिंग-रिंग के खेल के बेस परचार हो गेल हे आउ अमदनी भी बेसे हो जा हे ।

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