Monday, September 25, 2006

38. बिन बिआहल बेटा-पुतोह

बहुत बात अइसन हो हे जेकरा प्रचार कैला पर भी ऊ न फैले । ओकरा ला रेडियो, अकबार आउ आजकल दूरदर्सन के मदद लेल जा हे । एतना खर्चा कैला पर भी ढेर बात प्रचार में न आवे बाकि कुछ अइसन भी बात हे जेकरा प्रचार करे के जरूरत न पड़े । अपने-अपने हावा के पाँख पर चढ़के घरे-घरे घूम जा हे आउ काने-काने सउँसे समाज में फैल जा हे । इहे तो दुनिया के रीत हे । जेकरा छिपावल जाय ऊ न छीपे आउ जेकरो लुकावल जाय ऊ परघट हो जाय । कइसन हे ई दुनिया, नेकी करे बदी मिले आउ बदी के भी नेकीये मिले । ई कहाँ के रेवाज हे ? अँखिगर के दिद बइठे तो कहले जा हे बाकि आन्हर के अँखिगर कहेला कोई तइयार न होय । तनी आदरे देवेला हे तो 'भाई सूरदास' तक सुने उनका मोका मिल जा हे । दुनिया में इहे सब तो होइत आयल हे ।

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