Monday, September 25, 2006

39. अनकहल सचाई

कतिकउर के घामा में मिचाई कोड़के सुन्नर घरे आयल, घइला से पानी ढारके गटर-गटर एक लोटा खींच लेलक आउ फिनो दोसरो लोटा में से आधा पानी पी गेल आउ तिरमिराइत घामा मेकर तड़तड़ाइत पसेना के हाथ से सिरोक के अंगना के ओसारा में गमछी बिछाके लोघड़ गेल । टेनिया के माय अँचरा से हावा करे लगलई । आज सुन्नर के मन कइसन तो करइत हल । से ऊ फिनो पानी मांगलक तो टेनिया के माय लोटा में पानी देलक । सुन्नर जइसही लोटा में मुँह लगौलक कि भ-भऽ-भगऽ फेंक देलक । ऊ फिनो गमछा पर लोघड़ गेल । ओकर ताबड़-तोड़ तरास लगइत हल । आउ जइसही पानी पीये तइसही फेंक देवे । लगवहिये चार-पाँचगो कै कैला के बाद ऊ सुस्त पड़ गेल फिनो ओकरा दस्त भी होवे लगल । एक-दू तुरी तो उठके ऊ नगदी के गौठा में गेल बाकि ओकरा हुबा न हल कि खड़ा भी होय । से टेनिया के माय अगने में गबड़ा खान देलक । सुन्नर पानी पीअथ आउ ओका देथ । दिसा भी पानीये नियन हो रहल हल । उनकर हालत बिगड़ रहल हल । हाथ-गोड़ में पिडुरी चढ़े लगल । से टेनिया के माय दउड़ल अस्पताल में गेल आउ डगदर साहेब के सब हाल कह सुनौलक । डागदर कहलन कि "हम आवइत हियो । तू अगाड़ी चलके पचीस रोपेआ के इंतजाम कर गेल । दवाई के दाम अलगे से लगतो ।"

******** Incomplete ********

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