Monday, September 25, 2006

40. रग्घू के नेतागिरी

रग्घू अब खाली गाँव के अल्हेत दल के नेता नऽ हल, ऊ कसबा के नेकलाइट के नेता भी बन गेल हल । गते-गते अपन काम करना छोड़े लगल । चंदा से ओकरा ढेरे पइसा मिल जा हल । से ऊ सोचलक कि नेता के सब गुन जब तक न अपनावल जायत तब तक ओकर रोब न जमत । अब ऊ खादी के धोती आउ बंडी पेन्हे लगल । कसबा के काम के मालिक भी ओकरा से सहमे लगल आउ काम न कैला पर भी ओकरा में मोसहरा दे दे हल । से रग्घू अब नेता के दोसर गुन भी अपना लेलक । पहिले ऊ ठरा पीअ हल, अब ऊ ब्रांडी आउ बीयर पीये लगल काहे से कि ई नेता के जरूरी गुन हे । नेता के सबसे जरूरी गुन के तो ऊ पहिले ही अपना लेलक हल । खाली एगो-दूगो मेहरारू ओकरा घटइत हल न तो ऊ अब तक पूरा पकिया नेता बन जाइत ।

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