Monday, September 25, 2006

44. नानी के मूरति आउ सुगिया

आज एक हप्ताह हो गेल बाकि नानी के मूरति भिजुन से दिन में भीड़ कखनीओं कम न होबे । एक-न-एक अदमी इया मेहरारु फूल-माला लेले नानी के मूरति पर चढ़ावेला जुटल रहथ । गाँव के नऽ, देहात से भी अदमी आवे लगलन हल । गाँव में बसल ई देस, मूरत पूजे में तेज हे । मूरत के पीछे का भाव हे, ई देखे आउ खोजे के जरूरत कोई न समझे । लोग आवथ, पूजा करत आउ मनौता मानके चल जाथ । सुगिया नानी टोला पर भी रहके अकेले में कोका न पावइत हल । किरिन फूटे से रात ला कोई-न-कोई उहाँ जुटले रहथ । दिन भर तो स्कूल के लइकन आउ अस्पताल के रोगी से उ जगह जाय । लोग नानी के दुरगा के अवतार माने लगलन हल । जिनगी में नानी पर दुरगा जी आवऽ हलथिन । ई बात तो सब बूढ़-पुरनिया देखलन भी हल । इहे बात अब अवतार के रूप धर लेलक हे । से भीड़ बरोबर लगल रहे ।

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