Monday, September 25, 2006

48. नानी के तेज नानी में

सुक्खू-बेला आउ नगीना-सुसमा बाइज्जत सरकारी गाड़ी से घरे पहुँचा देल गेलन आउ ओही गाड़ी से रग्घू के गिरफतार करके जिला जेल में भेज देल गेल । ओही घड़ी से सुरुज महतो नानी के मूरति भिजुन आमरन अनसन सुरुम कर देलन । ई तीनो काम एके मुहूर्त में एक रोज सुरुम भेल । गाँव में एके तुरी सुख, दुख आउ अचरज बेआप गेल । सब लोग अचरज में हलन कि अब महतो जी के अनसन करे के ना जरुरत हे । फिनो गाँव के सब लोग नानी के मूरति भिजुन जुट गेलन । अब ही महतो जी खाली अनसन न कैले हलन, मूक भी हो गेलन हल । दिन में साँझखनी खाली एक तुरी सुगिया से बोले ला कहके ऊ मूक भेलन से ऊ दोसरा दिन दुपहर ला ओइसही गुम हथ । अबरी ऊ पानी भी न पी रहलन हे । लोग साँझ के आसा में हथ कि बेर डूबे पहिले कुछ सुगिया के अपन उपदेस देतन जे गाँव ला संदेस होयत ।

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