"इन साल रोहन में एको बून पानी नॆ बरसल आउ मिरिकडाहो बीत गेल । कल्ह के अदरा चढ़इल हे आउ असाढ़ो भी । अइसन तऽ कहिनो जोग नऽ जुटल हल बाकि इंदर भगवान खुस होवऽथ तब नऽ ?" अपन ठकुरबारी में पतरा उलटइत रमधार मिसिर बोलल । सुरुज महतो टोक देलन - "का मिसिर जी, पतरवा में पानी के जोग नऽ लिखवऽ ? एसो भी परहे नियन का रह जतई ?"
******** Incomplete ********
Monday, September 25, 2006
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