गाँव के मुखिया के बेटा नगीना मेहता एक मातर अइसन लइका हल जे सहर के कौलेज में पढ़ऽ हल । इन साल गरमी के छुट्टी में आयल तऽ एतना लहर चलल कि ओकर बाहर जाय ओला जतरा रद कर देवे परल । ऊ सउँसे छुट्टी गाँवे में रह गेल । बिजली के पंखा में रहल नगीना मेहता के गाँव के गरमी सड़ाइन लगे । रोहन में पानी हो जा हल तऽ तनी गरमी हेठ हो जा हल । अदरा चढ़ेला तइयार हे आउ पानी नऽ हो रहल हे, से ओकर गाँव के लइकइया मन जाग गेल आउ रात में लइकन के जमात बनाके कुम्हार के आवा के पहला भूतहा कुआँ में डाल देलक । ओकरे जमात में टुनमुन एगो बड़ा नटखट लइका हल । से ऊ रहता में आवइत खानी जीरवा के देह पऽ गली मेकर सड़ल कदई फचाक् दे मार देलक । ऊ छिल-छिल के गारी देइत भागल । ओहनी एने झँखुरी बहु के धूरी पराके चल देलन ।
******** Incomplete ********
Monday, September 25, 2006
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