Monday, September 25, 2006

विषय सूची

पहला भाग ( मूल प्रति में ) पृष्ठ १-१०९

1. नानी के कहानी १-६
2. नानी के सपना ७-८
3. जीरवा के दोकान ९-१३

4. भिखना के चाचा उर्फ नारद १४-१६
5. नानी के दरद-कथा १६-२३
6. रमधार मिसिर के ठकुरबारी २३-२८

7. बरमा के दलान २८-३१
8. सुसमा आउ नगीना ३१-३६
9. निरबल के बल राम कि काम ? ३६-४३

10. रोझन के जूता ४३-४६
11. नगीना आउ सुक्खू ४६-५१
12. दूनो महतो ५१-५५

13. खदेरन के जालसाजी आउ भूत के अंत ५६-५९
14. खदेरन के हौसला टूट गेल ६०-६५
15. गाँव में तीन खुसी ६५-६८

16. तइयो नरक बचल रहल ६८-७१
17. रोहन के तिरभुज खेल ७२-७४
18. गाँव में नरक (कि नरक में गाँव) ७४-७५

19. सरग के देवदूत ७६-७९
20. गाँव में सहर घुसे लगल ८०-८२
21. गाँव दोगल हो गेल ८३-८७

22. आखिर चुनाव आ गेल ८७-९२
23. नानी टोला के मीटिंग ठकुरबारी पर ९२-९६
24. धरती माय के असीर्वाद ९७-१०३

25. गाँव बदल गेल १०३-१०९


दूसरा भाग ( मूल प्रति में ) पृष्ठ १११-२१२

26. रिंग-रिंग के खेल ११३-११८
27. अस्पताल के तइयारी ११८-१२२
28. महतो के अनसन आउ डगदर १२२-१२५

29. सुक्खू के मील में दुर्घटना १२६-१३०
30. गाँव नहर पर १३०-१३४
31. नानी के गाँव आउ रिंग रिंग के खेल ? १३५-१३७

32. सुक्खू आउ बेला १३८-१४१
33. रग्घू के अल्हैत कि नेकलाइट ? १४१-१४५
34. गाँव में महामारी १४५-१४८

35. बेला कि सुक्खू ? १४९-१५२
36. गाँव में संडक आउ बिजुली १५२-१५६
37. सहर से गाँव में १५६-१६१

38. बिन बिआहल बेटा-पुतोह १६१-१६३
39. अनकहल सचाई १६३-१७३
40. रग्घू के नेतागिरी १७३-१७९

41. काम के चक्का घहराय लगल १७९-१८४
42. रग्घू के चकर चाल १८४-१८८
43. नानी के मूरति १८८-१९२

44. नानी के मूरति आउ सुगिया १९२-१९६
45. भाई-बहन के अमर संबंध १९६-२०१
46. नानी के गाँव में पुलिश २०१-२०४

47. सुगिया काम सम्हारलक २०४-२०७
48. नानी के तेज नानी में २०७-२०९
49. उपसंहार २०९-२१२

1 comment:

alka mishra said...

नारायण जी ,जय हिंद
आपका ब्लॉग आज खोलने का समय मिला ,नवरात्रियाँ चल रही हैं ,समय का अकाल है.मैं आपका ये उपन्यास पूरा पढ़ कर ही कमेन्ट करूंगी ,आज तो आपको दशहरे की बधाई देने आ गयी ,आप विद्वान हैं ,सारे मंत्रों का शुद्ध उच्चारण भी कर लेते होंगे. किन्तु आम आदमी नहीं कर पाता.मुझे उस मंत्र की त्रुटियाँ ज्ञात हुईं ,इसके लिए आपको धन्यवाद ,जिस किताब से मैंने लिया है उसमें प्रिंटिंग मिस्टेक रहा होगा ,मैं वेद-पुरानों की ज्ञाता नहीं हूँ ,किन्तु वेद उपनिषदों से मैंने वह खजाना निकाल लिया है जिससे सैकडों लोगों का दुःख दूर हो सकता है ,आजकल यजुर्वेद भी पढ़ रही हूँ ,किन्तु मैं ऐसे ज्ञान की खोज के लिए ये सब पढ़ती हूँ को सामयिक रूप से कल्याणकारी हों
शेष पुनः